बांदा : बुन्देलखण्ड के ऐतिहासिक स्थलों के विकसित होने से खुलेंगे रोज़गार के रास्ते

बांदा। बुंदेलखंड में कई ऐतिहासिक और प्राकृतिक सुंदरता की छटा बिखेरने वाले स्थल हैं। इनके विकसित होने पर पर्यटन को बढ़ावा मिलने के साथ रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। इनमें कई आध्यात्मिक मंदिर, ऐतिहासिक किले और मनमोहक जल प्रपात शामिल हैं।

बांदा जिले में पुरातात्विक और ऐतिहासिक महत्व रखने वाला अजेय कालिंजर दुर्ग है। इसी तरह महोबा और चित्रकूट में भी कई धार्मिक और रमणीक स्थल हैं। सीएम की घोषणा के बाद बुंदेलखंड को पर्यटन के रूप में विकसित करने की संभावनाएं तेज हो गई हैं।

बुंदेलखंड में ऐतिहासिक, प्राकृतिक और आध्यात्मिक स्थानों का मिश्रण है। कालिंजर महोत्सव के मंच से शुक्रवार को प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने बुंदेलखंड के सभी जिलों में ऐतिहासिक स्थलों को विकसित कर पर्यटन को बढ़ावा देने का एलान किया था। पर्यटन विभाग और एएसआई को किलों को संवारने और पर्यटकों के लिए हर सुविधाएं उपलब्ध कराने की भी घोषणा की थी। सीएम की इस घोषणा के बाद बुंदेलखंड को पर्यटन के रूप में विकसित करने की उम्मीद जागने के साथ चर्चाएं भी शुरू हो गईं।

बांदा जिले में स्थित ऐतिहासिक अजेय दुर्ग कालिंजर और यहां स्थित नीलकंठेश्वर मंदिर के विकसित होने पर पर्यटकों के आने से क्षेत्र का विकास होगा। गाइड के रूप में युवाओं को रोजगार हासिल होगा। यहां से जुड़े चित्रकूट और एमपी के पन्ना व खजुराहो समेत कई ऐतिहासिक धरोहरें होने से पर्यटन की उम्मीदें बढ़ी हैं। महोबा जिले में स्थित विजय विहार और रहिला सागर सूर्य मंदिर भी पर्यटकों को लुभाएगा।

बांदा : शहर मुख्यालय से करीब 60 किलोमीटर दूर स्थित कालिंजर दुर्ग अजेय और ऐतिहासिक है। पुरातत्व का महत्व रखता है। चंदेल शासकों द्वारा निर्मित आठ सबसे लोकप्रिय किलों और बुंदेलखंड में सबसे बेहतरीन स्थानों में से एक है। विंध्य पर्वत की पहाड़ी में स्थित है। चंदेल शासकों द्वारा किले का निर्माण 800-900 ईस्वी में होना बताया गया है। इसके अंदर कई मंदिर भी हैं। नीलकंठ महादेव मंदिर की चर्चा पौराणिक कथाओं भी है। किवदंती है कि समुद्र मंथन से निकले विष को ग्रहण करने के बाद महादेव ने इसी स्थान पर रहे हैं। यहां स्थित बुड्ढा-बुड्ढी तालाब, मृग धारा, वैकुंठ मंदिर, पाताल गंगा, शैलचित्र आदि दर्शनीय स्थल हैं। शेरशाह का मकबरा भी किले में स्थित होना बताया जा रहा है। यहां सुविधाएं बढ़ने पर निश्चित तौर पर पर्यटक आएंगे और क्षेत्र का विकास हो सकेगा।

चित्रकूट : भगवान राम की तपस्थली के साथ बुंदेलखंड का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल हैं। मानिकपुर और सतना के बीच बेहद खूबसूरत आध्यात्मिक स्थान है। धारकुंडी आश्रम प्रकृति से भरपूर है। रानीपुर वन रेंज में स्थित है। रानीपुर वन्यजीव अभ्यारण्य के नाम से भी जाना जाता है। किवदंती है कि पांडवों के प्रवास के दौरान यक्ष और युधिष्ठिर के बीच संवाद हुआ था। ऋषियों की तप स्थली भी रहा है। इसके विकसित होने से पर्यटन बढ़ेगा। भगवान राम का नाम अयोध्या के बाद चित्रकूट से जुड़ता है। रामघाट, आरोग्यधाम, गुप्त गोदावरी, कामदगिरि मंदिर, सती अनुसुइया, हनुमान धारा, स्फटिक शिला आदि प्राकृतिक व धार्मिक स्थल हैं।

महोबा : यहां से करीब पांच किलोमीटर दूर पहाड़ी पर स्थित विजय सागर है। यह पक्षी विहार के नाम से भी मशहूर है। यहां बड़ी संख्या में लोग घूमने आते हैं। अब इसे भी पर्यटन के रूप में विकसित करने की कवायद शुरू हो गई है। देश-विदेश में पर्यटन के रूप में मशहूर खजुराहो (एमपी) नजदीक होने से यहां बड़ी संख्या में सैलानी भी आने लगे हैं। हालांकि अभी इनकी तादाद ज्यादा नहीं है। इसी तरह भारतीय संस्कृति की विरासत संजोए चंदेल शासक द्वारा एक हजार साल पूर्व बनवाया गया रहिला सागर सूर्य मंदिर भी आकर्षक है। इस मंदिर का नाम राजा रहिला देव के नाम से रखा गया है। यहां रिलिया सागर के नाम से कुंड और भव्य मंदिर है। पर्यटन के रूप में विकसित होने पर पर्यटक आकर्षित होंगे।

इंटक के जिला समन्वयक और इतिहास की जानकार हारिस जमां खां का कहना है कि जिले की सरहद से जुड़े पन्ना (एमपी) और चित्रकूट जिले की सरहद से जुड़े सतना (एमपी) और महोबा जिले की सीमा से जुड़े खजुराहो (छतरपुर, एमपी) में भी कई पर्यटन स्थल हैं। पन्ना जिले में पांडव फाल और टाइगर रिजर्व पार्क में बड़ी संख्या में सैलानी घूमने आते हैं। कालिंजर का विकास होने से नजदीक क्षेत्रों के पर्यटन स्थल आने वाले सैलानी यहां भी आसानी से पहुंच सकेंगे। सीएम की घोषणा के मुताबिक विकास हुआ तो पर्यटकों का आवागमन बढने के साथ यहां के युवाओं को रोजगार हासिल हो सकेगा।

सौजन्य : अमर उजाला

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