करतल (बांदा)। बांदा की सीमा से सटे मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व की एक दो वर्षीय बाघिन को वहीं के माधव नेशनल पार्क में वंश वृद्धि के लिए छोड़ा जाना है। लेकिन अभी तक पन्ना के वनकर्मी बाघिन को ट्रेंकुलाइज (बेहोश) नहीं कर सके हैं। बाघिन वन कर्मियों को पिछले कई दिन से चकमा दे रही है। एमपी के मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया बाघिन को माधवपुर पार्क में छोड़ेंगे। इस पार्क में 27 वर्ष से बाघ नहीं हैं।
27 साल बाद मध्य प्रदेश के शिवपुरी स्थित माधव नेशनल पार्क में बाघों की दहाड़ गूंजेगी। मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व की युवा बाघिन को शिवपुरी के माधव नेशनल पार्क में ले जाने का मुहूर्त अभी नहीं बना है। वहां ले जाने के लिए जिस बाघिन का चयन किया गया है। उसकी उम्र दो साल है। इस बाघिन को ट्रेंकुलाइज करने का हर संभव प्रयास किया गया। लेकिन चंचल स्वभाव की यह बाघिन हाथी को देखकर दूर निकल जाती है। इससे उसको ट्रेंकुलाइज नहीं किया जा सका। इसके चलते बाघिन की पन्ना से माधव नेशनल पार्क के लिए रवानगी अभी तक नहीं हो सकी है।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को तीन बाघों को माधव नेशनल पार्क में रिलीज करना था। 10 मार्च को दोनों नेता बांधवगढ़ से लाई गई बाघिन व सतपुड़ा से लाये गए बाघ को ही छोड़ सके। आज ही पन्ना टाइगर रिजर्व से ले जाई जाने वाली बाघिन को भी यहां छोड़ा जाना था।
अंतिम बार 1996 में देखा गया था टाइगर
शिवपुरी के माधव नेशनल पार्क में 1990-91 तक काफी संख्या में टाइगर थे। अंतिम बार 1996 में यहां टाइगर देखा गया था। इसके बाद से अब तक 27 साल से यहां पर बाघ नहीं हैं। इसके चलते टाइगर प्रोजेक्ट के तहत यहां पांच बाघों को बसाने की योजना है। पहले चरण में यहां तीन बाघों को शिफ्ट किया जाना है। इसमें पन्ना बांधवगढ़ से एक-एक मादा टाइग्रेस और सतपुड़ा से एक नर टाइगर को भेजा जा चुका है।
बाघों की वंश वृद्धि में होगी सहायक
पन्ना टाइगर रिजर्व से जिस बाघिन का चयन माधव नेशनल पार्क के लिए किया गया है। वह बाघिन टी-6 की बेटी है। हर बार चार शावकों को जन्म देने वाली इस बाघिन की बेटी माधव नेशनल पार्क में बाघों की वंश वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। यदि यह बाघिन पकड़ में नहीं आई तो इसी उम्र वाली दूसरी बाघिन को यहां से भेजा जाएगा।
बाघों के लिए पर्याप्त सुविधाएं
पन्ना टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक बृजेंद्र झा ने बताया कि बाघिन को ढूंढने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। फिर भी बाघिन नहीं मिली तो दूसरी भेजेंगे। माधव नेशनल पार्क के सीसीएफ उत्तम कुमार शर्मा ने बताया कि पार्क के बीच बलरामपुर के कक्ष क्रमांक 112 में बाघों के लिए 4000 हेक्टेयर का बाड़ा एक्लोजर बनाया गया है। इसमें बाघों के लिए पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध हैं।
शिकारगाह रहा है माधव पार्क
एमपी के शिवपुरी के पास स्थित माधव नेशनल पार्क मुगल सम्राटों और महाराजाओं का शिकारगाह था। 1958 में इसे राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा मिला था। यह पार्क झीलों, जंगलों और घास के मैदानों से युक्त है। जंगल में नीलगाय, चिंकारा, चौसिंगा, हिरण, चीतल, सांभर, तेंदुआ, भेड़िया, सियार, लोमड़ी, सूअर, अजगर आदि वन्य जीव हैं।
सौजन्य : अमर उजाला