पुरातत्व/जिला प्रशासन की अनदेखी का शिकार छत्रसाल संग्रहालय ज्ञात हो कि जब से मंडल मुख्यालय बांदा, पुरातत्व कार्यालय कालिंजर स्थित किया गया। उपेक्षा का शिकार होते जा रहे है प्राचीन ऐतिहासिक स्थल, जिसका उदहारण जिलाधिकारी आवास से चन्द कदम की दूरी पर बिजलीखेड़ा मोहल्ले में मेनरोड से स्थित छत्रसाल संग्रहालय दुर्दशा का शिकार है। यहाँ रखी बेशकीमती मूर्तिया गायब हो चुकी है। जो बची है धूल और मिट्टी में दब रही है।

यहाँ रखी ज्ञान का भंडार रूपी पुस्तकों को दीमक चट्ट कर रहे है। यही नही सरकारी दस्तावेजों में महाराज छत्रसाल संग्रहालय के नाम दर्ज 2 बीघे 17 बिस्वा जमीन सिर्फ पुराने कागजो में दर्ज है। जबकि मौके पर कुछ नही बचा है। पूर्व में जिला प्रशासन बांदा ने छत्रसाल संग्रहालय की भूमि पर अवैध निर्माण को कार्यवाही के दौरान बुलडोज़र से गिराया था। प्रशासन की शिथिलता के चलते भूमाफिया ने कागजो में हेर फेर करते हुए करोड़ो रूपये की सरकारी सम्प्पत्ति का विक्रय भी कर दिया है। जो बची है उसमें भी दरवाजे खिड़की कर काबिज हो चुका है।

ऐसा नहीं है कि प्रशासनिक अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों, को यह मालूम नही है। उनके संज्ञान में पूरी जानकारी है कि किस तरह से मण्डल के एकमात्र ऐतिहासिक संग्रहालय को भूमाफिया दीमक की तरह चाट रहे हैं, पर कलम और जुबान इसलिए बन्द है कि वह भी इस खेल में कही न कही प्रत्यक्ष रूप से न सही पर अप्रत्यक्ष रूप से शामिल है।

आज इस पूरे मामले का शिकायती पत्र प्राप्त हुआ। वहाँ से निकल रहा था तो अनायास ही एक मित्र के साथ उधर पहुँच गए। संग्रहालय की दुर्दशा देख मन द्रवित हो उठा। जब हम कालेज में थे इसी रास्ते से आना जाना होता था। कागजो में दर्ज पूरी जमीन सुरक्षित थी। वहाँ रखी प्रचीन मूर्तियों की नक्काशी/चित्रकारी देख मन गदगद हो जाता था। छात्र यहाँ रखी किताबो से अपना भविष्य सँवारने के लिए प्रयासरत रहते थे, पर आज प्रशासनिक अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों की लापरवाही से यह छत्रसाल संग्रहालय जो अपने मे इतिहास को समेटे था जल्द ही इतिहास बन जाएगा।