बाँदा- रमजान का पहला अशरा (10 दिन) आते-आते लगभग सभी मस्जिदों में तरावीह के दौरान कुरान पूरा होने का सिलसिला जारी है, उसी क्रम में आज तारीख 29.03.2022 बरोज बुधवार को शहर कोतवाली के सामने स्थित वक्फ मस्जिद बोड़े में छठवीं तरावीह के दौरान कुरान मुकम्मल हो गया, शहर की प्रमुख मस्जिदों सहित यहाँ भी भारी संख्या में लोगों ने तरावीह की नमाज अदा की, मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष हाजी फसीउल्ला खान व खजांची आरिफ खाँ ने सभी को रमजान की मुबारकबाद पेश की, मस्जिद का साल भर का हिसाब-किताब लेखा-जोखा सभी को दिखाया और बेहतरीन इंतेजाम करने वाले सभी सदस्यों का शुक्रिया अदा किया, तरावीह के बाद सामूहिक दुआ हुई, यहां हाफिज एहतेशाम उल हक आजमनगर, बिहार ने इमामत करते हुऐ कुरान सुनाया, इस मुबारक मौके पर मस्जिद इमाम मौलाना मुफ़्ती शफीकउद्दीन साहब ने जकात के मसले पर अपना जोर देते हुए कहा सभी को इमानदारी से पाई-पाई जकात निकालनी है, जकात पहले अपने परिवार में फिर उन गरीब परिवार को दी जानी चाहियॆ जो इसका जादा जरूरतमंद हो, नायब इमाम मेराज अहमद क़ादरी, भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा नेता आरिफ खान, रशीद आतिशबाज, हमीद आतिशबाज, हनीफ अंसारी, गौहर भाई, अरशद बिलाल,नासिर, नौशाद इलाही, इमरान इलाही, कादिर अफजाल, हनीफ अंसारी, गौहर भाई, वहीद उल्ला, अनवर मिस्त्री सहित मस्जिद के सभी मेंबरान मौजूद रहे, शेखूं, सेफान, फैजान सहित मोहल्ले के बच्चों नें ठंडे दूध के शरबत का इँतेजाम किया।

रमजान के महीने में तरावीह को अपनी अकीदत के हिसाब से सब लोग अलग-अलग दिनों में पूरा करते हैं। गुरुवार की शाम रमजान का चांद दिखाई देने के बाद तरावीह शुरू हुई थी । पहला रोजा शुक्रवार को शुरू हुआ। चांद रात को मुस्लिम बहुल इलाकों के बाजारों में देर रात तक चहल-पहल और रौनक रही। लोगों ने सहरी और इफ्तार के सामान की खरीदारी कर रहें हैं।
अरबी कैलेंडर के 9वें महीने रमजानुल मुबारक का चांद गुरुवार को नजर आया। लोगों ने चांद देखकर खुशहाली की दुआ मांगी। रात को इशां की नमाज अदा करने के बाद लोगों ने तरावीह की नमाज अदा की। शहर की लगभग 50 मस्जिदों कैंपस के मैदानों और घरों पर भी लोगों ने तरावीह की नमाज पढ़ी जा रही है।
उलमाओं ने पूरा महीना इबादत में गुजारने, गुनाह से दूर रहने और जरूरतमंदों की भरपूर मदद करने की अपील की है। यह भी अपील की कि रोजा रखने का मतलब सिर्फ भूखा रहना नहीं होता है। यह हाथ-पैर, आंख आदि सभी अंगों का भी रोजा होता है। जो लोग किसी वजह से रोजा नहीं रख पाते, वे रोजेदारों का एहतिराम करें। इसके साथ ही मुफ्तियों से मसले पूछने का सिलसिला शुरू हो गया हैमुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ऑफ इंडिया के आरिफ खान ने अपील की है कि रोजेदारों को इफ्तार कराएं। कुरान पाक की तिलावत करें। देश और समाज में अमन-शांति की दुआ करें। सभी एक-दूसरे की मदद करने का प्रयास करें। पैगंबर-ए-इस्लाम ने रमजान के तीस दिनों को तीन अशरों में बांट कर अहमियत बताई है। पहले 10 दिन का अशरा रहमतों का होता है। दूसरा अशरा गुनाहों से माफी और तीसरा जहन्नम से निजात का है।