बांदा। केन-बेतवा नदी लिंक परियोजना एक कदम और आगे बढ़ी है। हाल ही में पेश हुए केन्द्र सरकार के बजट में इस परियोजना के लिए 3500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। यह दूसरी किस्त है। इसके पहले चालू वित्तीय वर्ष में केन्द्र सरकार ने 1100 करोड़ रुपये दिए थे। परियोजना की लागत करीब 46 हजार करोड़ पहुंच गई है।
डेढ़ दशक पहले नदियों को जोड़ने की तत्कालीन केंद्र सरकार द्वारा मंजूर हुई परियोजनाओं में केन – बेतवा गठजोड़ को पहले नंबर पर रखा गया है। इसमें केन नदी का अतिरिक्त पानी 221 किलोमीटर लंबी नहर बनाकर बेतवा नदी में भेजना प्रस्तावित है। डेढ़ दशक से फाइलों में दौड़ रही इस परियोजना पर केंद्र सरकार अगले आम चुनाव से पहले काम शुरू कराने की पूरी तैयारी में है। उधर , मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव भी नजदीक हैं। परियोजना के लिए पन्ना व छतरपुर (एमपी) की 5480 हेक्टेयर गैर सरकारी जमीन हस्तांतरित किए जाने की औपचारिकताएं भी हाल ही में पूरी कर ली गई हैं। यहां स्थित पन्ना टाइगर रिजर्व पार्क को चित्रकूट जिले के पाठा क्षेत्र में शिफ्ट किया जा रहा है। केन्द्र, यूपी और एमपी सरकारों में परियोजना के लिए लिखित सहमति/ एग्रीमेंट मार्च 2021 में हो चुका है।
पिछले माह समिति की दिल्ली में हुई थी बैठक
पिछले महीने 18 जनवरी को केन-बेतवा लिंक परियोजना की संचालन समिति की बैठक दिल्ली में जल शक्ति मंत्रालय के जल संसाधन और नदी विकास एवं गंगा संरक्षण विभाग के सचिव की अध्यक्षता में हुई थी। बैठक में इस परियोजना की पुर्नवास और पुर्नस्थापन योजना को पारदर्शी और समय पर पूरा करने के लिए समिति गठन के प्रस्ताव को अंतिम रूप दिया गया था। साथ ही पन्ना भू-भाग परिषद का गठन किया जा रहा है।
यूपी-एमपी के 13 जिले शामिल
केन -बेतवा लिंक परियोजना में यूपी और एमपी के बुंदेलखंड के 13 जिले शामिल हैं। उत्तर प्रदेश में बांदा, महोबा, झांसी और ललितपुर के जिले शामिल हैं। जबकि मध्य प्रदेश में पन्ना, टीकमगढ़, छतरपुर, सागर, दमोह, दतिया, विदिशा, शिवपुरी और रायसेन जनपद शामिल हैं।
केन-बेतवा लिंक एक नजर में
स्वीकृति वर्ष – 2005
लागत- 46 हजार करोड़ (संशोधित)
पूर्व में जारी बजट – 1100 करोड़
मौजूदा बजट में स्वीकृति – 3500 करोड़।
10.62 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई
2 लाख लोगों को पीने का पानी।
102 मेगावाट हाइड्रोपावर और 27 मेगावाट के सोलर प्लांट।
72 मेगावाट क्षमता के 2 बिजली घर ।
परियोजना में शामिल किए गए 13 गांवों के बाशिंदे / आदिवासी इसका लगातार विरोध कर रहे हैं। वह अपने पुर्नवास और मुआवजे को लेकर सरकार के वादों और प्रस्तावों से संतुष्ट नहीं हैं। इसके चलते बीते बुधवार को इन ग्रामीणों ने केन नदी की सहायक श्यामरी नदी में सामूहिक रूप से जल सत्याग्रह किया था। गणतंत्र दिवस से छह दिवसीय तिरंगा यात्रा भी निकाली। बुंदेलखंड के पर्यावरण पैरोकार और समाजसेवी आशीष सागर दीक्षित का कहना है कि सरकार की हठधर्मिता का खामियाजा बुंदेलखंड की जनता को भुगतना पड़ेगा।
सौजन्य : अमर उजला