बांदा : अवैध खनन के मुकदमों के बाद भी फल फूल रहा है विपुल त्यागी

Banda Vipul Tyagi is flourishing even after illegal mining cases
जिला प्रशासन की अनुकंपा से अमलोर खंड 7 बालू खदान में नही हुई कार्रवाई
जरर खदान में भी विपुल त्यागी ने कराया था अवैध खनन
बाँदा की प्राकृतिक संपत्ति लुटवा रहे अधिकारी
बांदा। जनपद बाँदा की केन नदी को बंजर बनाने का सिलसिला रुकने के नाम नही ले रहा। जिसमे प्रशासन भी संदिग्ध भूमिका निभा रहा है। बालू माफ़िया विपुल त्यागी कई बार अवैध खनन के घेरे में आ चुका है और दो बार अवैध खनन का मुकदमा भी लिखा जा चुका है लेकिन इसके बावजूद विपुल त्यागी अवैध खनन में लिप्त होकर फल फूल रहा है और ये सब प्रशासन की रहनुमाई मे हो रहा है।
आपको बता दे अमलोर बालू खदान खंड 7 विपुल त्यागी के नाम से संचालित है। जिसमे बाँदा के रसूखदार गुड्डू बराबर के पार्टनर बताए जा रहे हैं जो कि विधानसभा चुनाव 2022 में तिंदवारी विधानसभा से चुनाव लड़ने की जुगत में लगे हैं। ये अभी तक आपने आप को पाक साफ बताते थे लेकिन जैसे ही खदान में अवैध खनन का मामला सामने आया और वहां इन माफियाओं द्वारा किसानों के साथ अत्याचार किये जाने का मामला सामने आया। तभी किसानों ने गुड्डू सिंह के पार्टनर होने की पोल खोल दी और गुड्डू सिंह की सफाई धरी की धरी रह गई क्योंकि अमलोर गांव तिंदवारी विधानसभा क्षेत्र में आता है। जिस कारण पूरी विधानसभा क्षेत्र में गुड्डू सिंह की किरकिरी होने में समय नही लगा।
हालांकि चुनाव अभी दूर हैं और इसके परिणाम भी तभी सामने आएंगे पर सवाल यह उठता है कि आखिर विपुल त्यागी ने जिला प्रशासन को कौन सी घुट्टी पिलाई है कि अवैध खनन के मुकदमो के होने के बाद भी कार्रवाई नही की और बदस्तूर खनन का कार्य संचालित है। आपको बता दे कि इसके पहले विपुल त्यागी ने गिरवां थाना अंतर्गत जरर बालू खदान का पट्टा ले रखा था। जहाँ अधिकारियों की छापे मारी में भारी मात्रा में अवैध खनन किया गया था। जिसके बाद खनिज अधिकारी ने गिरवां थाने में विपुल त्यागी के खिलाफ अवैध खनन की तहरीर दी थी। इसके बावजूद विपुल त्यागी के नाम अमलोर बालू खदान खंड 7 का पट्टा हो गया और यहां भी अवैध खनन में मुकदमा दर्ज हो गया पर कार्रवाई जांच के नाम पर अटका दी गई और फिर से खनन करने की खुली छूट दे दी गई जो कि साफ तौर पर कानून की धज्जियां उड़ाने के बराबर है।
अवैध खनन की यह तस्वीरें कुछ दिन पुरानी जरूर हैं लेकिन जानकारी के मुताबिक इससे दुगना तरीके से अवैध खनन का कार्य जारी है आपको बता दे कि तत्कालीन जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक की अवैध खनन में संलिप्तता पाई जाने की बात सामने आई थी, इसी कारण उन्हें बाँदा से हटाया गया था और तत्कालीन खनिज अधिकारी को भी निलंबित किया गया था पर इससे वर्तमान अधिकारियों का कोई वास्ता नजर नही आ रहा है। अब देखने वाली बात होगी कि अवैध खनन के आरोपी को प्रशासन कब तक बचाता है।